नई दिल्ली:चाइनीज मांझे पर प्रतिबंध के बावजूद इसका प्रयोग कम नहीं हो रहा है। पिछले दिनों चाइनीज मांझे से गला कटने के कारण एक युवक की मौत हो गई। यह मामला सुर्खियों में रहा। लेकिन कई ऐसे मामले भी हैं जिनमें इस मांझे के कारण लोग मौत के मुहाने तक पहुंच गए ऐसे ही दो मामलों में दो महिलाएं चाइनीज मांझे का शिकार हुईं। दोनों की जिंदगी पर संकट मंडराने लगा था।
लेकिन समय से अस्पताल पहुंच जाने के कारण डाक्टरों ने काफी मशक्कत के बाद दोनों को नया जीवन दे दिया। इनमें 61 वर्षीय विद्यावती शामिल हैं, जिनके गले को चाइनीज मांझे ने चाकू की तरह काट दिया था। दूसरी महिला 54 साल की उषा राजन हैं जिनके पैर के पिछले हिस्से में मांझे ने नस तक को क्षतिग्रस्त कर दिया था।लक्ष्मीनगर में रहने वाली विद्यावती गत दस जून को बाजार से स्कूटी से अपने घर लौट रही थीं। हेलमेट लगा रखा था।
इसी दौरान मांझा उनके गले को जख्मी करता हुआ निकल गया। गले पर हाथ रखा तो खून निकल रहा था। उन्होंने अपना दुपट्टा गले में लपेटा लेकिन खून बंद नहीं हो रहा था। स्वजन उन्हें मैक्स अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां प्लास्टिक सर्जरी विभाग के प्रमुख डा. मनोज जोहर के नेतृत्व में डा. रोहित चंद्रा और डा. प्रदीप कुमार सिंह ने तुरंत उनका इलाज शुरू कर दिया।
डा. जौहर ने बताया कि विद्यावती की हालत गंभीर थी। दिमाग में खून की आपूर्ति करने वाली नसें क्षतिग्रस्त थीं। इसलिए तुरंत ही सर्जरी शुरू की गई। नसों की मरम्मत कर सफल प्लास्टिक सर्जरी की गई। चार दिन अस्पताल में भर्ती रहीं। अब वह शारीरिक तौर पर स्वस्थ हो चुकी हैं। लेकिन हादसे के कारण मानसिक तौर पर स्वस्थ होने में भी समय लगेगा।
इसी तरह गीता कालोनी में रहने उषा राजन नाेएडा की निजी कंपनी में नौकरी करती हैं। गत 15 जुलाई को वह नोएडा से कैब से गीता कालोनी फ्लाईओवर तक पहुंची। वहां उनका बेटा गौरव स्कूटी के साथ इंतजार कर रहा था। वह बेटे के पास पहुंची तो देखा कि उसके पेट के पास से मांझा निकल रहा था। उन्होंने हाथ से उसे नीचे किया। इसके बाद पैर से पूरी तरह से दबाने का प्रयास किया।
इसी दौरान एक अन्य वाहन वहां से मांझे को खींचते हुए गुजरा। इसकी वजह से मांझा उनके पैर के पिछले हिस्से में एड़ी के ऊपर काटते हुए निकल गया और तेजी से खून बहने लग गया। उन्होंने भी खून को रोकने के लिए दुपट्टा उस जगह कसकर बांध लिया। आटो से मैक्स अस्पताल पहुंचीं। यहां उसी दिन उनकी सर्जरी हुई और पांच दिन बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल गई। मांसपेशियों को पूरी तरह से ठीक करने के लिए अभी उनके पैर में प्लास्टर है।
हर
सप्ताह आ रहे हैं
इस तरह के मामले
डा. जौहर ने कहा कि स्वतंत्रता दिवस और मकर संक्रांति पर इस तरह के मामले काफी सामने आते हैं। अभी भी हर हफ्ते एक-दो ऐसे मरीज पहुंच रहे हैं। उन्होंने कहा कि ये दोनों मामले काफी जटिल थे।
मांझे के शिकार होने पर बरतें सतर्कता
डा. जौहर ने कहा कि चाइनीज मांझे पर रोक है। लेकिन सिर्फ कानून बनाने से इस पर रोक नहीं लगेगी। समाज को भी आगे आना होगा। लोग खरीदना बंद कर देंगे तो बिक्री भी बंद हो जाएगी। उन्होंने मांझे के शिकार होने पर कुछ सलाह भी दी है।
खून का बहाव रोकने का प्रयास करें। इसके लिए साफ कपड़ा बांध लें। टूथपेस्ट या हल्दी लगाने का इंतजार न करें। मांझे के जख्म को हल्के में न लें। तुरंत नजदीकी अस्पताल पहुंचें।
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